जयपुर में एक से बढ़कर एक शिल्प कौशल के कुशल कारीगर है। मुर्तिया बनाने के लिए ब्लॉक प्रिंट, टाई और डाई कपड़े, हस्तनिर्मित कागज, पारंपरिक रूपांकनों, कालीन बनाने से लेकर और भी बहुत कुछ है जयपुर में कलाकारों ने कला में कई अलग-अलग प्रकार की महारत हासिल की है।
जयपुर में जब गणेश चतुर्थी आने वाली होती है तब शहर के कारीगर अपनी कुशलता का प्रदर्शन करते है वे कई पीढ़ियों से ये काम कर रहे है उनको ये काम विरासत में मिला है और अपने इस काम को बड़ी लगन से करते है। हम आपको cityofjaipur.com के माध्यम से बता रहे है कि मूर्ति कैसे बनती है भगवान गणेश की सूंदर मुर्तिया मिटटी से बनाते है फिर इस के ऊपर पेंटिग की जाती है कुछ ही महीनों में कारीगरों के द्वारा ये मुर्तिया तैयार कर दी जाती है फिर इस तैयार सूंदर मूर्तियों को लोग खरीद कर अपने घर ले जाते है।
एक छोटा सा बच्चा जो अपनी कला का प्रदर्शन कर रहा है उसको कैमरे में कैद कर लिया गया है इस बच्चे का काम करने का जूनून और समर्पण देखने लायक है।
तो हम देख कर ये जान ही गए है कि कितने हाथो के प्रयास के बाद ये मुर्तिया तैयार की जाती है जो लोग जल्दी ही खरीद कर अपने घर के मन्दिर के कोने में विराजमान कर देते है।
अब आप जाओ गणपति जी को घर ले जाने की सभी तैयारियां हो गएहै ! इस उत्सव सप्ताह के लिए जयपुर के सभी लोगो को मुबारकबाद !