आज युगाब्द 5119 विक्रम संवत 2074 की चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के अमुसार भारतीय नववर्ष शुरू हो रहा है। नववर्ष के उपलक्ष में सभी जयपुर वासियों को cityofjaipur.com की तरफ से शुभकामनाएँ। आइये जानते है क्या है विशेष हिन्दु नववर्ष में।
ब्रह्मपुराण के अनुसार ब्रह्माजी ने इसी दिन सृष्टि की रचना प्रारम्भ की थी। इससे पूर्व पृथ्वी पूर्णतः जलमग्न थी। आज से 1 अरब 97 करोड़ 29 लाख 49 हज़ार 118 वर्ष पूर्व इसी दिन के सूर्योदय से ब्रह्मा जी ने जलमग्न पृथ्वी में से सर्वप्रथम बाहर निकले भू-भाग सुमेरु पर्वत पर सृष्टि की रचना प्रारम्भ की।
आज से 2074 वर्ष पूर्व सम्राट विक्रमादित्य ने विदेशी हमलावर शकों को भारत से बाहर खदेड़ा और इसी दिन अपने राज्य की स्थापना की। इनकी विदेशी हमलावरों पर अभूतपूर्व विजय की कीर्ति को ध्यान रखते हुए, सम्राट विक्रमादित्य के नाम पर ही विक्रमी संवत् का पहला दिन प्रारंभ होता है।
श्रीराम के लंका विजय के पश्चात अयोध्या लौटने पर, इसी मंगल दिन को उनका राज्याभिषेक किया गया था।
प्रति वर्ष इसी दिन शक्ति और भक्ति के नौ दिन अर्थात् नवरात्रे प्रारम्भ होते है। इन नौ दिनों में भक्त माँ दुर्गा की पूजा रचना में लीन रहते है।
सिख परंपरा के द्वितीय गुरू श्री अंगद देव जी का जन्म इसी दिन है।
समाज को श्रेस्त मार्ग पर ले जाने हेतु स्वामी दयानंद सरस्वती जी ने इसी दिन को आर्य समाज स्थापना दिवस के रूप में चुना।
यही दिन मंत्र दृष्टा एवं न्याय शास्त्र के रचियता एवं आदि प्रवतक महर्षि गौत्तम ऋषि का जन्मदिन है।
इस तिथि के आस-पास ही प्रकृति में नवीन परिवर्तन एवं उल्लास दिखाई देता है। रातें छोटी व दिन लंबे होने लगते हैं। वसंत ऋतु के आगमन के साथ ही चारों तरफ वृक्ष और लताएं पुष्पों से भर जाती है जो पूरे वातावरण को महकाने लगते हैं।
वसंत ऋतु के आगमन के साथ ही फसले भी पकने लगती है यानि किसानो की मेहनत का फल मिलने का भी यही समय होता है। खेतों से फसले कट कर घर आने लगती है।
आइये मिलकर भारतीय नववर्ष को हर्षोउल्लास के साथ मनाए ठीक वैसे ही जैसे हम जनवरी माह की शुरुवात में विदेशी नववर्ष मानते है। सभी को भारतीय नववर्ष की शुभकामनाएँ।